मोटर गाड़ी में बैठा
तकरीबन चार साल का बच्चा
एक हाथ में लॉलीपॉप है जिसके
नयी यूनिफ़ॉर्म में अपनी जो बौहत फब रहा है
पहला गुब्बारा..... उसी का फूटा है।
माँ ने लाडले की फ़रमाइश पर
बड़े शौक से दिलाया रहा होगा
स्कूल गेट से बाहर निकलते वक़्त।
पेचीदगियां तमाम हैं आसपास
कुछ न कुछ गलती से चुभ गया होगा।
बच्चा सुबक-सुबक कर रो रहा है
खेलने का सामान चाहिए उसको
माँ पुचकारते हुए चुप करा कर कहती है
अगले चौराहे पर दूसरा दिला देगी !
एक गुब्बारे-वाला है
उम्र उसकी लगभग छह बरस होगी
बच्चा कहूँ उसे या नहीं इस कश्मकश में हूँ ......बहरहाल
माथे पर तमाम सिलवटें हैं उसके
नंगे पाँव .....फटे पुराने कपड़ों में
रंगीन सपने बेचता है हर रोज़
छोटे तीन रुपये के ....बड़े पांच रुपये के।
दूसरा गुब्बारा उसी का फूटा है
सूइयाँ .......दिल में चुभी हैं
और जो फूटा है ......वो दरअसल नसीब है
रोया पर वो बिल्कुल नहीं है
जानता है शायद
आँखों के पानी से ना भूख की आग बुझेगी ना जीने की प्यास ।
आवाज़ सुनते ही दूर अब्बा ने जोर से फटकार लगायी
"कमबख्त! पूरे पाँच रुपये का नुक्सान कर दिया
एक और गया तो खैर नहीं"।
गुब्बारे-वाले ने हमउम्र बच्चों को
आइस-क्रीम खाते देखा
अपना दूसरा हाथ ख़ाली पेट पर रखा
फिर कुछ सोचकर जल्दी-जल्दी आगे बढ़ गया
"बाबु जी गुब्बारे ले लो ......दीदी जी गुब्बारे ले लो "
अगले चौराहे पर खिलौने और मिल जायेंगे बेशक
बावरा बचपन पर कहो कैसे मिलेगा?
अगले चौराहे पर होटों की हँसी भी हासिल हो जाएगी यकीनन
मुँह के निवाले के लिए पर ..... ना जाने कितने शहर अभी और पार करने पड़ेंगे।
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मोटर गाड़ी वाले बच्चे को जल्दी चुप कराओ कोई
गुब्बारे-वाले की दबी चीखें शायद सुनाई दे जाएँ थोड़ी !
~Saumya
No words for this ...4-5 saal puraani baat yaad karke aankhe bhar aayi ....us din sayad dil rhi sab kuch kah rha tha par likh nhi paayi ..
ReplyDeletetumhe padhkar ajeeb sa sukoon milta hai ..likhti rho :)
बचपन सबका अधिकार है, गुब्बारे उड़ाना भी...
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ReplyDeleteएक गुब्बारे-वाला है
उम्र उसकी लगभग छह बरस होगी
बच्चा कहूँ उसे या नहीं इस कश्मकश में हूँ ......बहरहाल
माथे पर तमाम सिलवटें हैं उसके
नंगे पाँव .....फटे पुराने कपड़ों में
रंगीन सपने बेचता है हर रोज़
छोटे तीन रुपये के ....बड़े पांच रुपये के।
दूसरा गुब्बारा उसी का फूटा है
सूइयाँ .......दिल में चुभी हैं
और जो फूटा है ......वो दरअसल नसीब है
रोया पर वो बिल्कुल नहीं है
जानता है शायद
आँखों के पानी से ना भूख की आग बुझेगी ना जीने की प्यास ।.... अनुभूतियाँ सशक्त हैं
sach ki vayan karti hui rachna
ReplyDeleteमन को छूते शब्द रचना के भाव कहीं गहरे तक उतर गए ...
ReplyDeleteमार्मिक...
ReplyDeleteशब्दों में भावो को ऐसा बाँधा हुआ है फिर भी दिल में chubh रहे है देखो तो...
कुँवर जी,
मोटर गाड़ी वाले बच्चे को जल्दी चुप कराओ कोई
ReplyDeleteगुब्बारे-वाले की दबी चीखें शायद सुनाई दे जाएँ थोड़ी !
very nice.
ek baar jarur padna Udaari Dosti Di.
Teena.
आँखों के पानी से ना भूख की आग बुझेगी ना जीने की प्यास ।
ReplyDeleteआवाज़ सुनते ही दूर अब्बा ने जोर से फटकार लगायी
"कमबख्त! पूरे पाँच रुपये का नुक्सान कर दिया
एक और गया तो खैर नहीं"।.....
मार्मिक !!!!
gahari anubhuti,
ReplyDeleteSundar
Mere navintam post "dil ki sunapan se pyar" jarur padhiye.
Kalipad "prasad" .http://kpk-vichar.blogspot.in
हृदयस्पर्शी रचना...
ReplyDelete:-)
मार्मिक दृश्य के माध्यम से जीवन का चित्र बड़ी ही संजीदगी से उकेरा है, वाह !!!!!!!!
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना.
ReplyDeleteमार्मिक ... अंतिम लाइनें तो कमाल हैं ...मोटर गाड़ी वाले बच्चे को जल्दी चुप कराओ कोई ... शायद ये आवाज़ बंद होने पर भी दूसरे बच्चे की आवाज़ सुनाई नहीं देगी ...
ReplyDeleteWow!!
ReplyDeleteBachpan yaad dila diya ....
ReplyDeleteI request you to join the writers group....
http://www.facebook.com/#!/groups/424971574219946/
saumya outstanding expression...
ReplyDeletea powerful and heartfelt writing.....
loved it..love u...
bless u...
anu
सौम्या...उस गुब्बारेवाले की चीख अभी तक कानों में गूँज रही है .....दिल में उतर गयी तुम्हारी रचना ......
ReplyDeleteBadhiya contrast create kia hai.
ReplyDelete"पेचीदगियां तमाम हैं आसपास
कुछ न कुछ गलती से चुभ गया होगा।"
"रंगीन सपने बेचता है हर रोज़
छोटे तीन रुपये के ....बड़े पांच रुपये के।"
"मुँह के निवाले के लिए पर ..... ना जाने कितने शहर अभी और पार करने पड़ेंगे।"
Bhai waah! :)
शब्दों के जाल मे क्या खूब पिरोया है झलकियों को...आपकी यह रचना काबिलेतारीफ |
ReplyDeleteसादर..
thank you all for the read!
ReplyDeleteFirst tym m reading ur blog..what a grt writing talent...vry nyc this is alll.....
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