Tuesday, December 15, 2009

ख्वाहिश ...


 
आसमां में उड़ने की ख्वाहिश  नहीं हमारी ,
हमें  बगिया  में  टहलना  ज्यादा  भाता  है ,
फूलों  से   जब  हम  सजाते  हैं  इसको  ,
आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |

                                                                                                       ~सौम्या

6 comments:

  1. आसमां में उड़ने की खवाइश नहीं हमारी ,

    हमें बगिया में टहलना ज्यादा भाता है ,

    फूलों से जब हम सजाते हैं इसको ,

    आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |
    ....waaaaah waaaaaaaha ...bahut badhiya muktak hai ...i lov it...:).......

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  2. soumya mera blog visit kar tipannee chodne ke liye dhanyvad.........
    aaj jaldee me hoo .

    आसमां में उड़ने की ख्वाहिश नहीं हमारी ,
    हमें बगिया में टहलना ज्यादा भाता है ,
    फूलों से जब हम सजाते हैं इसको ,
    आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |
    bahut sunder aur dil se likhatee ho .
    aasheesh aur shubhkamnae.........

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  3. सरल
    सहज
    सौम्य

    कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
    http://qatraqatra.yatishjain.com/

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  4. .........लाजवाब पंक्तियाँ

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Thankyou for reading...:)