आसमां में उड़ने की ख्वाहिश नहीं हमारी ,
हमें बगिया में टहलना ज्यादा भाता है ,
फूलों से जब हम सजाते हैं इसको ,
आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |
~सौम्या
आसमां में उड़ने की खवाइश नहीं हमारी ,
ReplyDeleteहमें बगिया में टहलना ज्यादा भाता है ,
फूलों से जब हम सजाते हैं इसको ,
आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |
....waaaaah waaaaaaaha ...bahut badhiya muktak hai ...i lov it...:).......
thanks a lot...
ReplyDeletesoumya mera blog visit kar tipannee chodne ke liye dhanyvad.........
ReplyDeleteaaj jaldee me hoo .
आसमां में उड़ने की ख्वाहिश नहीं हमारी ,
हमें बगिया में टहलना ज्यादा भाता है ,
फूलों से जब हम सजाते हैं इसको ,
आसमां भी दो गज, नीचे उतर आता है |
bahut sunder aur dil se likhatee ho .
aasheesh aur shubhkamnae.........
सरल
ReplyDeleteसहज
सौम्य
कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/
.........लाजवाब पंक्तियाँ
ReplyDeletethank you all!
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