उन्सठ साल पुरानी चप्पलें
आज फिर काम पर जा रही हैं
घिस कर हो चुकी हैं कागज़ सरीखी
पर लिहाज़ करती हैं 'पहनने वाले का' |
पिताजी ने आज तय किया है
दो रोज़ दोपहर का खाना नहीं खायेंगे
चालीस रूपए कम हैं
बिटिया को जन्मदिन पर साइकिल दिलानी है |
माँ ने आज हलवा बनाया था
सबका हिस्सा लगाया
उसके हिस्से सिर्फ सौंधी खुशबू ही आ पाई
वो फिर खुद को गिनना भूल गयी थी |
दादी को आज पेंशन मिली थी
पोते को दे दी - कपडे बनवाने को
आधे दादी की दवाई में खर्च हो गए
बाकी में जीजी की ओढनी ही आ पाई|
आज छप्पर पर सावन भी जमकर थिरका
वो बेतरतीब बस्ती फिर बेदाग़ हो गयी
मुन्ना की पतंग देखो आसमां छु रही है
वो इन्द्रधनुष कैसा फीका जान पड़ता है |
इस बस्ती में मकान कच्चे पर दिल सच्चे हुआ करते हैं
बड़े तो बड़े ,बच्चे भी 'बड़े' हुआ करते हैं
दिन की आखिरी धुप भी जब दरवाज़े पर दस्तक देती है
उसकी खुशामदीद में 'दिए' जला करते हैं |
इस बस्ती में मकान कच्चे पर दिल सच्चे हुआ करते हैं
बड़े तो बड़े ,बच्चे भी 'बड़े' हुआ करते हैं
दिन की आखिरी धुप भी जब दरवाज़े पर दस्तक देती है
उसकी खुशामदीद में 'दिए' जला करते हैं |
सच कहूं तो इन ज़मीन पर सोने वालों के सपने
बिस्तर पर करवट बदलने वालों से
जियादा खूबसूरत होते हैं
पर तमन्नाएं हैं की नसीब का लिहाज़ कर जाती हैं.......
~सौम्या
good work............
ReplyDeletesomya ji....kya kahoon is najm par apko samjh nahi aa raha......bahut hi sunder or dil k paar hone vaali najm hai.... hatts of for u ..ese hi likhte rahiye
ReplyDeletenice one dear....
ReplyDeletehttp://shabd-baavala.blogspot.com/
kabhi yahaan bhi nazar daal liya kariye
@vandana ji...i am getting short of words to thank you...keep reading
ReplyDelete@vivek n ananya...thanks a lot...keep reading
yaar, kya baat hai.....u r getting divine power......u can even make stones feel..........sahi hai....really very moving one
ReplyDeletethank you so much...
ReplyDeletem not getting the exact word 2 describe but its too touching nd commenting on our society... keep thinking the same way nd mite b someday u bring a change...
ReplyDeletethank you for the read and thanks a lot for encouragement...
ReplyDeleteWhat a talent u are! Hats off. So touching a piece of work. Tum wahi Saumya ho na MPVM wali.. padhaku n serious. Your works are so very soulful. Keep it up.
ReplyDeletekya baat hai saumya ji..
ReplyDeletethankyou ambuj and saurabh for the read...i am glad the poem got so much appreciated....
ReplyDeleteAwesome!!! loved it...
ReplyDeletesomya ji,
ReplyDeleteसच कहूं तो इन ज़मीन पर सोने वालों के सपने
बिस्तर पर करवट बदलने वालों से
जियादा खूबसूरत होते हैं
पर तमन्नाएं हैं की नसीब का लिहाज़ कर जाती हैं.......
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
रचना ने करुणार्द्र कर दिया ।
ReplyDeleteWonderful poetry.. the echo does reach the heart of the reader.. I am incapable of saying more.
ReplyDeleteLove it..esp the last few lines
ReplyDeletethanks a lot!
ReplyDeleteबेहद उम्दा .. अंग्रेजी में शब्द है "aesthetic value " और इन शब्दों को किन क्यारिओं से चुना है उस बाग का पता भिजवा दीजिए
ReplyDeleteYou must be a good story teller. flow of thoughts is just so natural and connected at once. and the last line....no words!
ReplyDeleteawesome lines..
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