धुंध का घूंघट उठाती
सांवली सी सहर
इठलाती ,मुस्कुराती,
और बादलों की ओट से झांकता
ठिठुरता,अलसाता सूरज.....|
अंगड़ाईयां लेते झील और पोखर
और उन पर मचलती किरणों संग
अठखेलियाँ करती
वादियों की परछाईयाँ .....|
फूलों से अलंकृत पीरोजी चोली
और गुलाबी हवाओं की रेशमी ओढ़नी में
सँवरती वसुंधरा.....
शर्माती,सिहरती .....
खुद में सिमटती जाती ....|
साँसों में जब घुलती
हरसिंगार की महक
तो मानो ज़िन्दगी को जीने की
एक और वजह मिल जाती |
पतझड़ के शुष्क पत्तों से
फिर उभरता संगीत
ठूंठे अमलतास पर
पुनः पाखियों के नव गीत |
सीतकारती बासंती बयार
जब मीठी सी गुनगुनी धुप में
उड़ा ले जाती संग धूलिकणों को
तो सहसा दीख पड़ती
झुरमुठों से झांकती वल्लरियाँ ,
पत्थरों के अंतराल में अंकुरित
कोपलों की लड़ियाँ |
और ओस की चंद बूंदों के संग
पंखुड़ियों के आँचल में सहेजी हुईं
अश्रुओं की तमाम सीपियाँ
कुछ गगन की,कुछ धरा की ,कुछ मेरी
जो बरबस ही छलक आयीं थीं
जीवन को फिर पनपता देख.............|
~Saumya
~Saumya
ati sundar rachna
ReplyDeletekya baat hai ..... mahan kawiyatri ki jhalak milti hai..
ReplyDeletehar kisi koa aisi nazar naseeb nahi hoti jo itna kuch dekhti hai!
ReplyDeletegr88 thoughts!
once again ..superb!:)
thank you ananya,lucky n maverick for the read and appreciating it...
ReplyDeleteawesom poetry ....really ,mujhe vo kahavat yaad aa gayi..jahan na pahunche ravi vahan pahunche kavi....:)behad khoobsoorat kavita hai ..hatts off
ReplyDeletenice piece buddy...
ReplyDeleteplz chk out if its firozi rather than piroji in 10th line....
thank you vandana ...
ReplyDeletethanks shivam....i checked...its pirozi only...
i was mesmerized...i never knew this saumya....amazing beauty yaar...must say...very mature thought...excellent work.keep it up.
ReplyDeletenice one..!!
ReplyDeletethankyou so much prateek for the read......and appreciating it so much.....
ReplyDeletethank you saurabh...
nice poem....... good combination of word-hindi n urdu.....
ReplyDeleteकविता से निकलती आवाज.....
ReplyDeleteमध्यम-मध्यम
पर सुन्दर....
sadhuvad.
ReplyDeletethank u all.....
ReplyDeletenice poem....... good combination of word-hindi
ReplyDeleteआप बहुत ही अच्छा लिखती हैं...लिखते रहिये....बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...दिल खुश हो गया पढ़ के
ReplyDeleteज़िन्दगी को जब भी कोई एक अनोखे अंदाज मे देखता है तो बहुत सकूँ मिलाता पढ़कर.
ReplyDeleteदर्द पर मरहम लगजाता. कुछ ऐसा ही आपकी रचनाओं में...
कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/
thank you all...
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