बहुत खूब ....
Wow!!
Amazing .....chaar shbado me kyaa najm buni hai ..I just love it ...barsaaten behad jaroori hoti haingood one soumya :)
वाह ... बहुत खूब।
चार पंक्तियों में सटीक बात .बहुत खूब.
बहुत खूब....बहुत ही सुन्दर बात कही है आपने...:-)
@Sangeeta ji: thankyou so much mam :)@Vivek: thanks a lot :)@Vandana: thanks a tonne dear :)@Sada: thankyou :)@Shikha Varshney: thanks :)@Reena Maurya: thankyou :)@Punam: Rightly so...thanks :)
वाह .. क्या बात है .. आँखों की बरसात आने पे अपनी सानों का भी एहसास होगा ...
बहुत सुन्दर....
बेहतरीन सादर
hmm..bade intzaar ke baad hi sahi ,4 panktiyaan aayi..aur achhi aayi!
वाह! बहुत खूब....
सौम्या ..तुम्हें फिर से पूरी रंगत में देखकर बेहद खुशी हो रही है। अब दोबारा गायब मत होना....वो भी इतने लंबे समय तक। तुम्हारी ये पंक्तियां बेहद उम्दा है। वैसे भी तुम हमेशा सार्थक और बेहद उम्दा लिखती है। ईश्वर तुम्हारी मदद करें।
Itne kam shabdo me kitna kuch keh diya....
@Digamber ji: thanks a lot!@Kailash ji: thankyou so much!@Yashwant ji: thanks!@Shekhar ji: thankyou!@Amit: thankyou :)@Habib: thanks!@Virendra ji: thankyou so much :)@Noopur: thanks dear :)
kya baat hai! :D
@Anshul: thanks :)
The title itself was so attractive and the poetry is deep....Chand shabdo mei itni gehrayee kahna bahut mushkil hai....Loved reading it over n over again.
@Shaifali: thankyou so much...keep reading :)
वाह!!!बहुत खूबसूरत!! :)
Really,You've an ocean in your pen.
thanks to both abv!!
Hmm......h
.बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति...!
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
@Sanjay ji: thankyou so much!!
Thankyou for reading...:)
बहुत खूब ....
ReplyDeleteWow!!
ReplyDeleteAmazing .....chaar shbado me kyaa najm buni hai ..I just love it ...barsaaten behad jaroori hoti hain
ReplyDeletegood one soumya :)
वाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteचार पंक्तियों में सटीक बात .
ReplyDeleteबहुत खूब.
बहुत खूब....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बात कही है आपने...
:-)
@Sangeeta ji: thankyou so much mam :)
ReplyDelete@Vivek: thanks a lot :)
@Vandana: thanks a tonne dear :)
@Sada: thankyou :)
@Shikha Varshney: thanks :)
@Reena Maurya: thankyou :)
@Punam: Rightly so...thanks :)
वाह .. क्या बात है .. आँखों की बरसात आने पे अपनी सानों का भी एहसास होगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
hmm..bade intzaar ke baad hi sahi ,4 panktiyaan aayi..aur achhi aayi!
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब....
ReplyDeleteसौम्या ..तुम्हें फिर से पूरी रंगत में देखकर बेहद खुशी हो रही है। अब दोबारा गायब मत होना....वो भी इतने लंबे समय तक।
ReplyDeleteतुम्हारी ये पंक्तियां बेहद उम्दा है। वैसे भी तुम हमेशा सार्थक और बेहद उम्दा लिखती है। ईश्वर तुम्हारी मदद करें।
Itne kam shabdo me kitna kuch keh diya....
ReplyDelete@Digamber ji: thanks a lot!
ReplyDelete@Kailash ji: thankyou so much!
@Yashwant ji: thanks!
@Shekhar ji: thankyou!
@Amit: thankyou :)
@Habib: thanks!
@Virendra ji: thankyou so much :)
@Noopur: thanks dear :)
kya baat hai! :D
ReplyDelete@Anshul: thanks :)
ReplyDeleteThe title itself was so attractive and the poetry is deep....
ReplyDeleteChand shabdo mei itni gehrayee kahna bahut mushkil hai....Loved reading it over n over again.
@Shaifali: thankyou so much...keep reading :)
ReplyDeleteवाह!!!बहुत खूबसूरत!! :)
ReplyDeleteReally,You've an ocean in your pen.
ReplyDeletethanks to both abv!!
ReplyDeleteHmm......h
ReplyDelete.बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
ReplyDelete@Sanjay ji: thankyou so much!!
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