Wednesday, June 6, 2012

मानो चाँद ना हो...














कल चाँद फलक पर पूरा था
वैसा ही ....छैल -छबीला आवारा 
पहले तो बादलों के परदे में छिप -छिप कर
तंग करता रहा मुझे
फिर थक कर आकर बैठ गया बेहया
खिड़की पर मेरी !

सारी रात 
बिना पलक झपकाय 
एकटक........निहारती रही उसे मैं 
मानो चाँद ना हो
तुम्हारी ही कोई पुरानी
मुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)

16 comments:

  1. या शायद, आइना हो, जो भविष्य वाला कल बतलाता हो?


    Cheers,
    Blasphemous Aesthete

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  2. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति..

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  3. तुम्हारी ही कोई पुरानी
    मुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)
    .....हम्मम्मम बहुत कुछ कह दिया गया यहाँ तो....अब हम क्या कहें....!!

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  4. तुम्हारी ही कोई पुरानी
    मुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)
    .....हम्मम्मम बहुत कुछ कह दिया गया यहाँ तो....अब हम क्या कहें....!!

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  5. @Virendra ji: thankyou :)

    @Anshul: May be :)

    @Sanjay Bhaskar: thankyou :)

    @Shekhar Suman: thanks :)

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  6. @Rahul ranjan: thanks a lot :)

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  7. बहुत खूब .. चाँद में अक्सर उनकी तस्वीर का नज़र आना ... प्रेम की शुरुआत ही तो है ...

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  8. chaand ko chaand hi rahne do koi naam na do :P ......hehe cute njm hai :)

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  9. The last two lines epitomized everything. Lovely :)

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Thankyou for reading...:)