कल चाँद फलक पर पूरा था
वैसा ही ....छैल -छबीला आवारा
पहले तो बादलों के परदे में छिप -छिप कर
तंग करता रहा मुझे
फिर थक कर आकर बैठ गया बेहया
खिड़की पर मेरी !
सारी रात
बिना पलक झपकाय
एकटक........निहारती रही उसे मैं
मानो चाँद ना हो
तुम्हारी ही कोई पुरानी
मुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)
Very touching lines, Saumya!
ReplyDeleteया शायद, आइना हो, जो भविष्य वाला कल बतलाता हो?
ReplyDeleteCheers,
Blasphemous Aesthete
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति..
ReplyDeleteतुम्हारी ही कोई पुरानी
ReplyDeleteमुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)
.....हम्मम्मम बहुत कुछ कह दिया गया यहाँ तो....अब हम क्या कहें....!!
तुम्हारी ही कोई पुरानी
ReplyDeleteमुस्कुराती हुई....तस्वीर हो....... :)
.....हम्मम्मम बहुत कुछ कह दिया गया यहाँ तो....अब हम क्या कहें....!!
@Virendra ji: thankyou :)
ReplyDelete@Anshul: May be :)
@Sanjay Bhaskar: thankyou :)
@Shekhar Suman: thanks :)
toooo good Saumya... tooo good
ReplyDelete@Rahul ranjan: thanks a lot :)
ReplyDeleteबहुत खूब .. चाँद में अक्सर उनकी तस्वीर का नज़र आना ... प्रेम की शुरुआत ही तो है ...
ReplyDeletechaand ko chaand hi rahne do koi naam na do :P ......hehe cute njm hai :)
ReplyDelete@Vandana: hehe...thanks :)
ReplyDeletebehtareen..!
ReplyDeletegulzar shaab wala andaaz hai! Badhiya!
ReplyDelete@Amit: thanks :)
ReplyDeleteThe last two lines epitomized everything. Lovely :)
ReplyDelete@Ambuj: hey thanks :)
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