Sunday, June 14, 2009

आँखें...



आंखों में अश्कों को पिरोती ये आँखें ,
ख़्वाबों को पलकों पर संजोती ये आँखें,
दिल का हर कलाम कहती ये आँखें,
हर खुशी,हर सितम सहती ये आँखें।

निर्बल,निरीह सिसकती वह आँखें ,
उन आंखों में सवाल करती वह आँखें,
मेरी माँ की वह निश्छल सी आँखें,
पापा के अरमानों को बयां करती वह आँखें।

भीड़ में अपनों को खोजती ये आँखें,
इशारों-इशारों में बोलती ये आँखें,
पर्दे को बेपर्दा करती ये आँखें,
अंधेरों में रौशनी ढूढंती ये आँखें।

आंखों में अश्कों को पिरोती ये आँखें,
ख्वाबों को पलकों पर संजोती ये आँखें,
दिल का हर कलाम कहती ये आँखें,
हर खुशी,हर सितम सहती ये आँखें!!!! 

~सौम्या 

4 comments:

  1. hmm....gr8 piece, i never looked eyes with such depth....gud work.....keep writing more

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  2. bahut hi accha hai ... ankhon mein ye baat .. kya kehne

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  3. ye aankhein itna kuch keh sakti hain..maine aaj jaana hai..tume to meri sach me aankhein khol di.
    good work.
    i hope this way u enlighten me more..
    good work

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Thankyou for reading...:)