ख्यालों को परवाज़ देने की
ये कैसी आज़ादी है
कि इनकी जंजीरों में रूह
क़ैद होकर रह जाती है
मैं अपने किरदार को
वक़्त की अदालत में
किसी बेबस मुवक्किल सा
कटघरे में खड़ा पाती हूँ
दिल और दिमाग में
बहस छिड़ जाती है
मेरा अक्स मेरे ही खिलाफ
गवाही देता है
और मन भटक जाता है
बचाव के सुबूत इक्हट्ठे करने को।
मुद्दा सही या गलत का नहीं है
जीत और हार का भी नहीं है
बात सिर्फ इतनी सी है
की रूह क़ैद है
ख्यालों को परवाज़ देने की
फिर ये कैसी आज़ादी है ...........!
~Saumya
दिल और दिमाग में
ReplyDeleteबहस छिड़ जाती है
मेरा अक्स मेरे ही खिलाफ
गवाही देता है
और मन भटक जाता है
बचाव के सुबूत इक्हट्ठे करने को।
bahut sundar,aabhaar
shukriya!
Deleteसच है जब तक रूह आज़ाद नहीं .... ख्यालों की परवाज़ के कोई मायने नहीं ...
ReplyDeleteमुक्ति तो रूओह को चाहिए ...
thanks for the read!
Deleteरूह की कसमसाहट ही शायद पन्नों पर शब्द बन कर बिखर जाती है....
ReplyDeleteसुन्दर लिखा है सौम्या...बहुत गहराई से सोचा है...
अनु
(initials missing again :-))
may be...thanks :)
Deleteबहुत गहनता से लिखा है ... सुंदर
ReplyDeletethankyou!
Deleteगहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteshukriya!
Deleteसबको अपनी अभिव्यक्ति मिले, सबका सम्मान भी रहे।
ReplyDeletethanks for the read!
Deleteअत्यंत ही संजीदा रचना. और शब्दों की अद्भुत कलाकारी! बधाइयाँ! :)
ReplyDeletethankyou :)
Deleteकटु सत्य को बहुत ही मर्मस्पर्शी ढंग से उकेरा है..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteTruly said saumya...sometimes we can not decide... :(
ReplyDeletecome and join the group...would love to see you there... :)
http://www.facebook.com/#!/groups/424971574219946/
thanks dear...sent the request :)
Deleteरूह की कसमसाहट दिख रही है...
ReplyDeletethanks for the read!
Deleteazadi...hmmm khud ko khud se nikakna mushkil h.....
ReplyDeletehmmm..wahi to...thanks for the read :)
Deleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .
thankyou sangeeta ji!
Deleteदिल और दिमाग की जंग अक्सर छिड जाती है जब आप का दिल कुछ और कहता है और दिमाग कुछ और । रूह कैद है फिर भी ख्यालों को परवाज़ देने की ये कैसी आजादी है ।
ReplyDeleteसुंदर सोच भावपूर्ण लेखन ।
Good one yar ....khyaalo ki parvaaz hi rooh ki aazaadi kaa jariyaa hai ...kaid hone ko to har ek cheez kaid hai ..shayad hava bhi yhi mahsoos karti ho :)
ReplyDeletehmm..may be you're right....thanks :)
Deleteबात सिर्फ इतनी सी है
ReplyDeleteकी रूह क़ैद है
ख्यालों को परवाज़ देने की
फिर ये कैसी आज़ादी है ...........!
....बहुत सुन्दर..मन को छू जाते भाव...