Monday, July 30, 2012

इक पगली सी नज़्म!















वो प्यारी सी... पगली लड़की
चहकती .....फुदकती 
इस कमरे से उस कमरे 
आईने में तकती खुद को 
दिन में ....कुछ सौ दफे !
(ग़लतफ़हमी तो न हुई आपको?)
दरअसल  उसे 
अपनी पलकों के गिरने का 
इंतज़ार रहता है 
'उसकी' पलकों के ख्वाब 
सँवारने के लिए !

कोई गुंजाइश कहीं ....बाकी रह ना जाए 
लिहाज़ा...अब रोज़ का रिवाज़ है ...

शाम जैसे ही चंदा ... उसकी छत पर 
हौले से दस्तक देता है 
वो एक नज़र... निहार कर उसे 
मानो वो नहीं 'वो' हो )
घर के मंदिर को दौड़ जाती है. 
घी का इक दिया जलाकर 
रोज़ की इबादत के बाद 
मासूमियत के लिफ़ाफ़े में 
अपनी बातों की मिठास भरकर 
रब को.... चुपके से दे आती है ......
'वो' खुश रहे .....इतनी सी मुराद लेकर !
'उसकी' सालगिरह ,तीज-त्योहारों पर
पण्डित -जी से... 'उसके' नाम का 
इक रक्षा-सूत्र लेकर 
अपनी डायरी के उस पन्ने पर
सहेज कर रख देती है 
जिसपे.... 'उसका' नाम लिखा है ! 
लिफ़ाफ़े की साइज़ भी... उन दिनों ...तनिक बढ़ जाती है 
दुगुनी सिफारिशों के साथ !


पगली
एक भी दुआ
जाया नहीं करती
अपने ऊपर ...
बस चले तो 
अपने हिस्से का आशीर्वाद भी
'उसके' नाम लिख दे !
यहाँ तलक सोच रखा है 
कि जो तारा बन गयी पहले अगर 
तो 'उसकी' खिड़की पर जाकर.....
फिर से टूट जायेगी ........................
( "मौत भी फ़कत..... मुकम्मल हो जायेगी !" )

कुछ और हो ना हो
दुआओं को तो हक़ है ना कि
किसी के लिए भी.... मांग ली जाएं
बिना कोई हिसाब लगाए !

इससे पाक तरीका है क्या कोई और 
वो कुछ ...एकतरफ़ा निभाने का?
(मुस्कुराते हुए ....बिना कुछ खोए ?)

फिर से.... ग़लतफ़हमी तो ना हुई आपको ?
वो खुश है .........और 'वो'......... बेखबर !
.......................................................................

एक शेर भी अर्ज़ है (मान लीजिये 'उसकी' कलम से )

"यूंही तो नहीं मुस्कुराते रहते हम बेवजह हर रोज़ 
किसी की दुआओं का .....असर मालूम देता है । "

~Saumya

37 comments:

  1. मन की प्रसन्नता है कि दुआओं का असर..

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  2. काश उस बेख़बर को खबर हो जाये, यही दुआ करते हैं... :)

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  3. lov it, lov it, lov it ...i used to sahre ur creations with my friends sometime ...to be honest i want to share it with some one .but.a big BUT* here dosn't allow me :P.:)hehe
    be happy shappy alwys :)
    "ये देखकर अपनी बेकरारियों को करार आता है , हम दुआ टूटते तारें से करते हैं चाँद में निखर आता है "

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  4. दुआओं को मांगने का एक तरीका यह भी .... बहुत खूबसूरत नज़्म

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  5. वाह ... अनुपम भाव

    कल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    '' तुझको चलना होगा ''

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  6. Bahot achhe! poetry me chhoti-chhoti details jo expression ko jeewant karte hain..wo tumhara forte hai. Maza aaya padh kar aur khaas kar ye andaaz:

    यहाँ तलक सोच रखा है
    कि जो तारा बन गयी पहले अगर
    तो 'उसकी' खिड़की पर जाकर.....
    फिर से टूट जायेगी ........!

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  7. दुआओं को मांगने का एक तरीका यह भी .... बहुत खूबसूरत नज़्म

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  8. वाह सौम्या...
    बहुत सुन्दर.......
    LOVED IT VERY MUCHHHHHHHH

    ANU

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  9. सच ही तो है.....
    जो इतना सोचते है वो पागल ही तो कहलाते है....
    बहुत ही खुबसूरत और बहुत ही पागल सी नज़्म!

    कुँवर जी,

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  10. @Vandana Singh My pleasure dear...you can still share...thankyou so so much :) :)

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  11. @mAvericK thanks a lot for the detailed comment :)

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  12. Replies
    1. धन्यवाद् तो आपका ही है जी, आप अच्छा पढ़ा कर अच्छा लिखने को प्रेरित जो करते रहते हो...

      कुँवर जी,

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  13. बहुत -बहुत सुन्दर
    दुआ का ही असर है तभी तो चेहरे पर मुस्कान है...
    :-)

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  14. बहुत ही अच्छा लिखा है.

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  15. सच में पगली है, उनसे जा कर हाल-ए-दिल बयां क्यूँ नहीं करती?

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  16. वाह ... कितनी मासूम ही हरकत है उस पगली की और वो खुश भी रहती है ...
    क्या प्यार को जानने के लिए कुछ और भी होना चाहिए ...
    गहरा एहसास पर कोमल सी रचना ...

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  17. @Blasphemous Aesthete kyunki pagli hai :P ...thanks for the read though :)

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  18. u r here too... :)
    http://anaugustborn.blogspot.in/2012/08/the-b-team.html

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  19. सौम्या... अब तुम्हारी ताऱीफ में मेरे लिए शब्द नहीं बचे हैं। सारे शब्द खर्च कर दिए हैं। तुम लिखती इतना मस्त हो।

    अब अगर मेरा कोई कमेंट घिसा पिटा लगे तो मेरी मजबूरी समझना। बताओं कहां से लाऊं नए-नए शव्द!


    तु्म्हारी ये रचना भी सीधे दिल में उतर गई। वाकई बेहद खूबसूरत! कई बार पढ़ी।


    इससे पहले वाली रचनाए पढ़ ली हैं। समय मिलते ही उन पर भी कमेट करूगां। वो रचनाएँ भी एक से बढ़कर एक हैं।

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  20. दिल को छु ले वाली रचना।

    सौम्या ....तुम हमेशा ही जबरदस्त लिखती हो।

    अब तो तारीफ करने के लिए भी सोचना पड़ता है।

    मां सरस्वती का आशीर्वाद सदा तु्म्हारे साथ रहे।

    ऐसी कामना है।

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    1. thankyou Virendra ji...aap hamesha encourage karte hain...bauhat bauhat shukriya!!

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  21. Beautiful writing and beautiful presentation Saumya ji Happy Independence Day to you too:)

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Thankyou for reading...:)