(1)
मेरी नज्में
कुछ कुछ मुझ जैसी हैं
सादा-दिल
चुप-चुप सी
जियादा कुछ नहीं कहतीं
काश मैं भी कुछ कुछ
अपनी नज्मों की तरह होती
तुम पढ़ लेते मुझे
बिना मेरे कहे !
(2)
जैसे
अपनी नज्मों को
कैसे भी शुरू करूँ
पर इक खूबसूरत से मोड़ पर ही
लाकर ...छोडती हूँ उसे
ऐ ज़िन्दगी
अन्जाने में
तुझसे भी
कुछ ऐसी ही उम्मीद
लगा बैठी हूँ मैं !
(3)
बातें
जो मैं करती हूँ खुद से
अकेले में
चाय की चुस्कियां लेते वक़्त
ढलते सूरज को निहारते हुए
तारों को गिनते-गिनते
या रात में सोने से पहले
वो सबसे खूबसूरत
नज्में है मेरी ...
दिल की सबसे प्यारी बातें
दिल की सबसे प्यारी बातें
साँस लेती हूँ
उन्ही की महक में
दफ़न ना करुँगी
किसी कागज़ी ज़मीन के नीचे
वो नज्में .....जो मेरी ज़िन्दगी सी हैं....
~Saumya
नज़में ज़िंदगी सी या ज़िंदगी नज़्में सी ... बहुत खूबसूरत रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ ... सब ही एक से बढ़ कर एक
ReplyDeleteसबने दिल को मोह लिया पर हमें तो पहली वाली भा गयी , मुबारक हो
ReplyDelete@Sanjay ji: thanks a lot :)
ReplyDelete@Sangeeta ji: bauhat bauhat shukriya :)
आपकी नज्मे आपके ही जैसी है......
ReplyDeleteबहुत ही मासूम,सरल और सौम्य.....
कुँवर जी,
bahut sunder halki mithi si mithas liye hain ye nazme.
ReplyDeletewhats your email id
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है ... बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत - बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसभी बेहतरीन है....
:-)
सारे एक से बढ़कर एक ..
ReplyDeleteपर पहली वाली बहुत अच्छी लगी ..
बहुत खूब ..
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/blog-post_24.html
ReplyDelete@kunwar ji: thanks a lot!
ReplyDelete@Anamika ji: thankyou!
@Reena ji: thanks!
@Sada ji: thankyou!
@Rashmi ji: shukriya shabd bauhat chota hai..par fir bhi ..bauhat bauhat shukriya...is layak samajhne ke liye...god bless you...thanks a tonne :) :)
ReplyDeleteमुबारक हो सौम्या......
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन में छाई हो आज...
:-)
may god bless u .
anu
ps-nice poem...each of them.
बेहतरीन नज्में..... सशक्त अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजैसे
ReplyDeleteअपनी नज्मों को
कैसे भी शुरू करूँ
पर इक खूबसूरत से मोड़ पर ही
लाकर ...छोडती हूँ उसे
ऐ ज़िन्दगी
अन्जाने में
तुझसे भी
कुछ ऐसी ही उम्मीद
लगा बैठी हूँ मैं !
ye lines kaafi pasand aayi! :)
@Anu ji: thankyou so much :)
ReplyDelete@Monika ji: thanks...keep reading :)
@Amit: thankyou :)
सौम्या ,आपके ब्लाग को पहली बार देखा है । रश्मिजी के ब्लाग पर आपकी कविता और मुझे मिल गई पढ कर यहाँ आना ही पडा । और यहाँ मेरी नज्म पढ कर और भी विस्मित होजाना पडा है ।
ReplyDeleteLove it ......najm ko jindagi batane vala bimb all time fev hai mera .......youn likhti rho hamesha dil se ......:)
ReplyDeleteअपने को ढलते देखा है, मैने अपने शब्दों में,
ReplyDeleteतड़प तड़प जलते देखा है, मैंने अपने शब्दों में।
@Girija ji: thankyou so much...padhte rahiye :)
ReplyDelete@Vandana: thanks dear :)
@Praveen ji: bauhat khoob...blog par aane ke liye shukriya :)
Its Raining here !
ReplyDeleteYe mausam ka asar hai ya kuch aur
some lines i liked
काश मैं भी कुछ कुछ
अपनी नज्मों की तरह होती
तुम पढ़ लेते मुझे
बिना मेरे कहे !
I would say "Thou are the hindrance in thy path !" suits me for example
and
बातें
जो मैं करती हूँ खुद से
अकेले में
वो सबसे खूबसूरत
नज्में है मेरी ...
and last one is related
दफ़न ना करुँगी
किसी कागज़ी ज़मीन के नीचे
वो नज्में .....जो मेरी ज़िन्दगी सी हैं...
I hope not ...
जैसे
ReplyDeleteअपनी नज्मों को
कैसे भी शुरू करूँ
पर इक खूबसूरत से मोड़ पर ही
लाकर ...छोडती हूँ उसे
ऐ ज़िन्दगी
अन्जाने में
तुझसे भी
कुछ ऐसी ही उम्मीद
लगा बैठी हूँ मैं !
अजीब लगेगा, लेकिन मैं जिंदगी को खूबसूरत पलों में गवाना नहीं चाहता, और बुरे वक्त में भी नहीं छोड़ना चाहता, क्यूँ अच्छे पल जश्न के और दुखद घड़ियाँ अच्छे पलों की चाह में बीत जाती हैं :)
Blasphemous Aesthete
@chandan I won't be amazed if its the rain effect..kuch bhi accha lagne lagta hai :D
ReplyDeletethanks for the read :)
@Blasphemous Aesthetebeshaq...jab tak dono pehlu naa jiyo...tab tak swaad kahan aayega...par fir bhi lagta hai...ki jab ginti ki chnd saasein bachi hon to honto par muskaan rahe....:)
ReplyDeleteTremendous! This particular is all I can think pertaining to a blog post like this excellent. This kind of is literally a notably explanatory article post on the blog. You just need to know a lot about this amazing.
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