Thursday, September 6, 2012

आजकल खुदा बेरोजगार है ...
















सुना है आजकल खुदा भी बेरोजगार है 
इंसानों ने दिल से निकलकर उसे 
दुकानों पर बिठा दिया है 

जब तक दिल की बगिया में था 
बागबानी करता था 
कभी रूह की मिट्टी जोत देता 
कभी मन की फसल सींच देता 
अच्छे-अच्छे ख्यालों के फूलों से 
दिल सजा रहता था हमेशा 
संवेदना की खाद लाकर भी डाल देता था अक्सर
और ज़िन्दगी महकती रहती थी ।
तनख्वाह के तौर पर 
प्यार के सिक्के ले जाता था।  

अब तो दुकानों के दफ्तर पर 
किसी साज-सज्जा के सामान जैसा 
बिना ज्यादा जगह लिए 
एक कोने में खड़ा रहता है बुत बनकर। 
रोज़ सवेरे उसे दुकानदार
अगरबत्ती के धुएँ से डराकर 
"फिंगर ऑन योर लिप्स"
की सजा सुनाकर
कारोबार में ब्यस्त हो जाते हैं।
और शाम होते ही उसके पास 
खैरात की नोटें फेंक देते हैं।    

गुज़र कर रहा है वो  
बचत की हुई दौलत से !
(पर कब तक?)

एक दिन बातों-बातों में पूछ लिया मैंने 
"इतना चढ़ावा आता है हर रोज़ तुम्हारे लिए 
तरह-तरह की मिठाइयाँ,मेवे 
सोने-चांदी के सिक्के
तुम तो इस्तेमाल करते नहीं 
तो फिर जरा आकर..... इसी में से
घर के बाहर बैठे भूखे-भिखारियों की 
कुछ मदद क्यूँ नहीं कर देते ?"

जवाब आया-
"रिश्वत के पैसों से 
अच्छे काम नहीं किया करते! "  

कोशिशें चल रही हैं उसे रोज़गार दिलाने की 
अहसासों के अखबार में .... इश्तहार दिया है
दिमाग से भी बातचीत जारी है ..................!  

~Saumya

36 comments:


  1. "रिश्वत के पैसों से
    अच्छे काम नहीं किया करते! "

    कोशिशें चल रही हैं उसे रोज़गार दिलाने की
    अहसासों के अखबार में .... इश्तहार दिया है
    गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  2. ये जो खुदा है न.... तुम से बहुत डरता होगा!
    कभी बात हुयी तो जरुर पूछूँगा!

    कुँवर जी,

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    1. haha...ye kya keh diya aapne...darti to main hun...:)

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  3. खुदा तो रिश्वत के पैसेसे अच्छे काम नहीं ही करेगा ...पर जो लोग रिश्वत लेते हैं वो खुदा को भी रिश्वत देने का प्रयास करते हैं ... गहन अभिव्यक्ति

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  4. खुदा बेरोजगार ....
    कोशिशें चल रही हैं उसे रोज़गार दिलाने की
    अहसासों के अखबार में .... इश्तहार दिया है
    दिमाग से भी बातचीत जारी है ..................! तसल्ली मिली - खुदा भी लाईन में है साथ

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  5. खुदा को रिश्वत आज कल करोड़ों में दिया जा रहा है काला धंधे की रक्षा के लिए .खुदा स्वीकार नहीं करता ,चुप रहता है . सुन्दर रचना

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  6. waaaaaaaah ..ise padhkar apni Finger on lips ho gyi hai..:):)

    good going :)

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  7. ladki form me h..... :)


    जवाब आया-
    "रिश्वत के पैसों से
    अच्छे काम नहीं किया करते! "

    wow!!!

    kash! people undrstnd this. :D

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  8. ब्व्चारा खुदा ... उसके भक्तों ने ही उसे बेरोजगार बना डाला ... कलयुग बना के वो भी परेशान हो गया है ...

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  9. बहुत ही सुन्दर पोस्ट बधाई हो ।
    आज से मैंने अपना चौथा ब्लॉग "समाचार न्यूज़" शुरू किया है,आपसे निवेदन है की एक बार इसपे अवश्य पधारे और हो सके तो इसे फ़ॉलो भी कर ले ,ताकि हम आपकी खबर रख सके । धन्यवाद ।
    हमारा ब्लॉग पता है - smacharnews.blogspot.com

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  10. अच्छा लिखती हैं आप सौम्या ...पहली बार पढ़ा है ...अब अक्सर पढूंगी.

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    1. thankyou saras ji...aap pehle bhi padh chuki hain....keep reading :)

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  11. वह अपने आनन्द में मगन है, हम ही दूर हो लिये हैं..

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  12. जवाब आया-
    "रिश्वत के पैसों से
    अच्छे काम नहीं किया करते! "

    prabhu sahii shiksha hii denge ..
    sarthak rachna...shubhkamnayen ..

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  13. बहुत बढिया ........जब ये काम पूरा हो जाए तो सबको सूचित कर दीजिएगा ...कि अब गरीबो को रोज़गार मिलने लगे हैं .....:)))

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  14. बहुत सुंदर :

    इंसानों ने दिल से निकलकर उसे
    जब से दुकानों पर बिठाया है
    उसी दिन से आदमी तरक्की
    करता हुआ तो चला आया है
    खुद माना कि चला गया
    उसका अपना रोजगार
    अब जान ले लो गे क्या उसकी
    जब इतनो को उसने अपने से
    रोजगार करना सिखलाया है ?

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  15. एक बड़ी और गहन सच्चाई को आपने कविता का विषय बनाया है।
    आभार !

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  16. जवाब आया-
    "रिश्वत के पैसों से
    अच्छे काम नहीं किया करते! "

    कोशिशें चल रही हैं उसे रोज़गार दिलाने की
    अहसासों के अखबार में .... इश्तहार दिया है
    दिमाग से भी बातचीत जारी है ..................!

    बडी संजीदगी से सच को उकेरा है।

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Thankyou for reading...:)