Friday, August 13, 2010

क्या गलत है?


















क्या गलत है जो बिरजू घर-घर भीख मांगता है.
जब भूख लगती है ,तो  दिल बिलखता  है.                                       
महंगाई की मार में, सिर्फ बचपन बिकता है
क्या गलत है जो वो  मासूम ,यूँ दर-दर फिरता है |

क्या गलत है जो अब्दुल चोरी करता है
गरीबी की आग में ईमान झुलसता है
बहन हुई है तीस की ,बाप दहेज़ के लिए फिरता है
क्या गलत है जो अब्दुल चोरी करता है |

क्या गलत है जो कश्मीर में बच्चा ,बन्दूक उठाता है
तो क्या हुआ,कि गोलियों की आवाज़ से वो डर-डर जाता है.
वो नन्हा परिंदा अपने घर में आज़ादी चाहता है
क्या गलत है जो उसकी आँखों में ,खून उतर आता है |

क्या गलत है जो अफज़ल आतंक फैलाता है
मासूम इक दिल पत्थर बन जाता है.
है कौन वो जो उसकी 'आत्मा' मरवाता है
अफज़ल की क्या गलती , वो 'आतंक' फैलाता है |

क्या गलत है कि इक माँ ,बेटी का गला दबाती है
जमाने के दस्तूरों पर,उसकी चिता जलाती है
समाज उन्हें वैसे भी जीने ना देगा
बोलो,क्या गलत है.........................

गलत ये नहीं हैं
गलत वो हैं जो सत्ता पाने के बाद,कर्त्तव्य भूल जाते हैं
गलत वो हैं जो सिर्फ,अपना स्वार्थ साधते हैं|
गलत वो हैं जो निर्दोषों का शोषण करते हैं,
गलत वो हैं जो कुरीतियों का पोषण करते हैं|
गलत कहीं न कहीं,हालात भी हैं
गलत थोड़े हम, थोड़े आप भी हैं!!!

~Saumya

Monday, August 2, 2010

हो सकता है...

















हो  सकता  है
जब  कभी  तुम  बेहद  उदास  हो
मैं  ना  रहूँ  तुम्हारे  पास
मेरे  कन्धों  पर , सर  रखकर  रोने  को |
हो सकता है 
जब  कभी  अकेले  में  तुम  सिसक  रही हो
मैं  ना  रहूँ  तुम्हारे  पास
तुम्हारे आंसूं  पोछने  को |
हो  सकता  है
अगर  कभी  तुम्हे  चोट  लगे
मैं  ना  रहूँ  तुम्हारे पास
तुम्हारे  ज़ख्म  पर  प्यार  से  फूंकने  को |
हो  सकता  है
जब  कभी  तुम  परेशान  हो
मैं  ना  रहूँ तुम्हारे पास
तुम्हे  गले  से  छपटाकर
’सब  ठीक  हो  जाएगा ’ कहने  को |
हो  सकता  है
जब  कभी  तुम  हार  कर  टूटने  लगो
मैं  ना  रहूँ  तुम्हारे  पास
तुम्हे  हौसला  देने  को |
हो  सकता  है
जब  कभी  अकेले  में  तुम  डर  जाओ
मैं  ना  रहूँ  तुम्हारे  पास
तुम्हारा  हाथ  पकड़ने  को|
हो सकता है.................

तो  कभी मायूस  मत  होना 
एहसास  कर  लेना
मेरे  होने  का
दोहरा  लेना
मेरी  कही  हुई  बीती  बातें
समझा  लेना  खुद  को
जैसे  मैं  समझाती  थी  तुम्हे
लड़ना  अपनी  कमजोरियों  से
और  फिर  छू लेना  आसमां  को
जीत  लेना  जहां  को
याद  रखना -
दर्द  तुम्हे  होता  है ,तो  आह  मेरी  निकलती  है ,
तुम्हारी  इक  मुस्कान  पर ,ख़ुशी  मेरी  छलकती  है .

याद  रखोगी  ना ?
मैं  तुम्हारे  ’पास ’ हर  वक़्त  ना  सही
तुम्हारे  ’साथ ’ हमेशा  हूँ !

~Saumya